उसके ओझल हो जाने पर भी कुछ देर तक उसकी दर्दनाक आवाज़
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उसके ओझल हो जाने पर भी कुछ देर तक उसकी दर्दनाक आवाज़ मेरे कानों तक
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उसके ओझल हो जाने पर भी कुछ देर तक उसकी दर्दनाक आवाज़ मेरे कानों तक आती रही।
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जनता हूँ, मेरी दर्दनाक आवाज़ दबा दी जाएगी अख़बार के पन्नो से चाय की प्याली के साथ मिटा दी जाएगी मेरे नाम पर शीश महल बनवाने वालों..
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वैसे हमें यह ट्वीट वाला धंधा कुछ जँचता नहीं क्योंकि इसमें मेंढक के टर्राने की सी ध्वनि आती है या फिर तोते की टें-टें जैसी दर्दनाक आवाज़ सुनाई देती है ।
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जहाँ एक ओर “ आवाज़ ” कहानी किसी नवयुवती के सपनों में मेंहदी के रंग भरती है, वहीं हकीकत से उसकी मुठभेड़ होने पर एक दर्दनाक आवाज़ उभारती है, जो देर तक पाठकों के भीतर गूंजती रहती है।